स्वामी विवेकानंद पर निबंध (Essay on Swami Vivekananda in Hindi): 200 और 500+ शब्दों में निबंध लिखना सीखें
स्वामी विवेकानंद भारत में पैदा हुए महापुरुषों में से एक है। सनातन धर्म और भारत के गौरव के लिए उन्होंने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया था। इस आर्टिकल से आप स्वामी विवेकानंद पर निबंध (Essay on Swami Vivekananda in Hindi) लिखना सीख सकते है।
स्वामी विवेकानंद पर निबंध (Essay on Swami Vivekananda in Hindi): स्वामी विवेकानंद भारत में पैदा हुए महापुरुषों में से एक है। स्वामी विवेकानंद एक महान हिन्दू संत और नेता थे, जिन्होंने रामकृष्ण मिशन (Ram Krishna Mission) और रामकृष्ण मठ (Ramakrishna Math) की स्थापना की थी। हम उनके जन्मदिन पर प्रत्येक वर्ष 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस (National Youth Day) मनाते हैं। वह आध्यात्मिक विचारों वाले अद्भूत बच्चे थे। इनकी शिक्षा अनियमित थी, लेकिन इन्होंने स्कॉटिश चर्च कॉलेज से बीए की डिग्री हासिल की। श्री रामकृष्ण से मिलने के बाद इनका धार्मिक और संत का जीवन शुरु हुआ और उन्हें अपना गुरु बना लिया। इसके बाद इन्होंने वेदांत आन्दोलन का नेतृत्व किया और भारतीय हिन्दू धर्म के दर्शन से पश्चिमी देशों को परिचित कराया।
ये भी पढ़ें: - दशहरा पर निबंध
स्वामी विवेकानंद पर निबंध 200 शब्दों में (Essay on Swami Vivekananda in Hindi in 200 words)
प्रस्तावना
स्वामी विवेकानंद पर निबंध (Essay on Swami Vivekananda in Hindi): स्वामी विवेकानंद जी उन महान व्यक्तियों में से एक है, जिन्होंने विश्व भर में भारत का नाम रोशन किया। अपने शिकागों भाषण द्वारा उन्होंने पूरे विश्व भर में हिंदुत्व के विषय में लोगो को जानकारी प्रदान की, इसके साथ ही उनका जीवन भी हम सबके लिए एक सीख है। स्वामी विवेकानंद जी ने महान कार्यों द्वारा पाश्चात्य जगत में सनातन धर्म, वेदों तथा ज्ञान शास्त्र को काफी ख्याति दिलायी और विश्व भर में लोगो को अमन तथा भाईचारे का संदेश दिया।
स्वामी विवेकानंद का प्रारंभिक जीवन (Early life of Swami Vivekananda)
स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कलकत्ता में हुआ था। वह बचपन में नरेन्द्र नाथ दत्त के नाम से जाने जाते थे। इनकी जयंती को भारत में प्रत्येक वर्ष राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। वह विश्वनाथ दत्त, कलकत्ता उच्च न्यायालय के वकील, और भुवनेश्वरी देवी के आठ बच्चों में से एक थे। वह बहुत धार्मिक और आध्यात्मिक व्यक्ति थे और अपने संस्कृत के ज्ञान के लिए लोकप्रिय थे। स्वामी विवेकानंद सच बोलने वाले, अच्छे विद्वान होने के साथ ही एक अच्छे खिलाड़ी भी थे। वह बचपन से ही धार्मिक प्रकृति वाले थे और परमेश्वर की प्राप्ति के लिए काफी परेशान थे।
स्वामी विवेकानंद जी बचपन से ही आध्यात्मिक व्यक्ति थे और हिन्दू भगवान की मूर्तियों (भगवान शिव, हनुमान आदि) के सामने ध्यान किया करते थे। वह अपने समय के घूमने वाले सन्यासियों और भिक्षुओं से प्रभावित थे। वह बचपन में बहुत शरारती थे और अपने माता-पिता के नियंत्रण से बाहर थे। वह अपनी माता के द्वारा भूत कहे जाते थे, उनके एक कथन के अनुसार, “मैंने भगवान शिव से एक पुत्र के लिए प्रार्थना की थी और उन्होंने मुझे अपने भूतों में से एक भेज दिया।” स्वामी विवेकानंद जी का 1871 (जब वह 8 साल के थे) में अध्ययन के लिए चंद्र विद्यासागर महानगर संस्था और 1879 में प्रेसीडेंसी कॉलेज में एडमिशन कराया गया। वह सामाजिक विज्ञान, दर्शन, इतिहास, धर्म, कला और साहित्य जैसे विषयों में बहुत अच्छे थे। उन्होंने पश्चिमी तर्क, यूरोपीय इतिहास, पश्चिमी दर्शन, संस्कृत शास्त्रों और बंगाली साहित्य का अध्ययन किया।
ये भी पढ़ें- हिंदी दिवस पर निबंध
स्वामी विवेकानंद का योगदान (Contribution of Swami Vivekananda)
उन्होंने अपने छोटे से जीवनकाल में ऐसे-ऐसे कार्य किये थे कि जिससे हमारे देश की अनेकों पीढ़ियों का मार्गदर्शन हो सकता है। उनके जीवन में सबसे प्रसिद्ध घटना शिकागो की थी। वह घटना अमेरिका के विश्व धर्म सम्मेलन की थी, जहाँ वह हिन्दू धर्म का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। जहाँ उनके भाषण की शुरुआत ने ही वहाँ की पूरी जनता का मन जीत लिया था।
स्वामी विवेकानंद पर निबंध 500+ शब्दों में (Essay on Swami Vivekananda in Hindi in 500+ words)
प्रस्तावना
स्वामी विवेकानंद पर निबंध (Essay on Swami Vivekananda in Hindi): स्वामी विवेकानंद एक समान्य परिवार में जन्म लेने वाले नरेंद्रनाथ ने अपने ज्ञान तथा तेज के बल पर वे विवेकानंद बने। अपने कार्यों द्वारा उन्होंने विश्व भर में भारत का नाम रोशन किया। यहीं कारण है कि वह आज के समय में भी लोगो के प्रेरणास्त्रोत हैं।
स्वामी विवेकानंद पर निबंध (Essay on Swami Vivekananda) -स्वामी विवेकानंद का जीवन परिचय
स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी, 1863 में कोलकत्ता शहर में एक हाईकोर्ट के वकील के घर में हुआ था। उनका बचपन का नाम नरेन्द्र नाथ दत्त था। उनके पिता का नाम विश्वनाथ और माता का नाम भुवनेश्वरी देवी था। उनके गुरु का नाम रामकृष्ण परमहंस था। स्वामी विवेकानंद जी का अधिकांश समय भगवान शिव की पूजा-अर्चना में व्यतीत होता था। नरेन्द्र के पिता और उनकी मां के धार्मिक, प्रगतिशील व तर्कसंगत रवैया ने उनकी सोच और व्यक्तित्व को आकार देने में सहायता की। बचपन से ही नरेन्द्र अत्यन्त कुशाग्र बुद्धि के तो थे ही नटखट भी थे। कभी भी शरारत करने से नहीं चूकते थे फिर चाहे वे उनके साथी के साथ हो या फिर मौका मिलने पर अपने अध्यापकों के साथ। परिवार के धार्मिक एवं आध्यात्मिक वातावरण के प्रभाव से नरेन्द्र के मन में बचपन से ही धर्म एवं अध्यात्म के संस्कार गहरे होते गये। माता-पिता के संस्कारों और धार्मिक वातावरण के कारण बालक के मन में बचपन से ही ईश्वर को जानने और उसे प्राप्त करने की लालसा दिखायी देने लगी थी।
ये भी पढ़ें: - शिक्षक दिवस पर भाषण
स्वामी विवेकानंद पर निबंध (Essay on Swami Vivekananda) - स्वामी विवेकानंद का योगदान एंव महत्व
स्वामी विवेकानंद पर निबंध (Essay on Swami Vivekananda): बचपने में ही पिता के गुजर जाने के बाद स्वामी विवेकानंद पर ही पूरी घऱ की जिम्मेदारी आ गयी। विपरीत और कठिन परिस्तिथियों में भी नरेंद्र सेवा भावी और दूसरो की मदद करने के लिए हमेशा तत्पर रहते थे। रामकृष्ण परमहंस के सानिध्य में रहकर उन्होनें ज्ञान प्राप्त किया। स्वामी विवेकानंद ने 25 वर्ष की आयु में भगवा धारण करके पूरे भारतवर्ष की यात्रा की और युवाओं को जागृत करने का काम किया उन्होंने कर्म योग राजनीति शिक्षा धर्म और सनातन का पाठ पूरे भारतवर्ष को पढ़ाया। भारत के साथ-साथ वह जर्मनी चीन अमेरिका और अन्य देशों में भ्रमण करके लोगों को जागृत करते रहे। बहुत कम आयु में ही वह इतना सब कर गए जोकि किसी दूसरे का करना नामुमकिन है।स्वामी विवेकानंद पर निबंध (Essay on Swami Vivekananda) - स्वामी विवेकानद का ह्रदय परिवर्तन
एक दिन वह श्री रामकृष्णसे मिले, तब उनके अंदर श्री रामकृष्ण के आध्यात्मिक प्रभाव के कारण बदलाव आया। श्री रामकृष्ण को अपना आध्यात्मिक गुरु मानने के बाद वह स्वामी विवेकानंद कहे जाने लगे। वास्तव में स्वामी विवेकानंद एक सच्चे गुरुभक्त भी थे क्योंकि तमाम प्रसिद्धि पाने के बाद भी उन्होंने सदैव अपने गुरु को याद रखा और रामकृष्ण मिशन की स्थापना करते हुए, अपने गुरु का नाम रोशन किया।
स्वामी विवेकानंद पर निबंध (Essay on Swami Vivekananda) - स्वामी विवेकानंद का शिकागो भाषण
स्वामी विवेकानंद ने अपने ज्ञान तथा शब्दों द्वारा पूरे विश्व भर में हिंदु धर्म के विषय में लोगो का नजरिया बदलते हुए, लोगो को अध्यात्म तथा वेदांत से परिचित कराया। अपने इस भाषण में उन्होंने विश्व भर को भारत के अतिथि देवो भवः, सहिष्णुता और सार्वभौमिक स्वीकार्यता के विषय से परिचित कराया।
निष्कर्ष
स्वामी विवेकानंद जैसे महापुरुष सदियों में एक बार ही जन्म लेते हैं, जो अपने जीवन के बाद भी लोगो को निरंतर प्रेरित करने का कार्य करते हैं। यदि हम उनके बताये गये बातों पर अमल करें, तो हम समाज से हर तरह की कट्टरता और बुराई को दूर करने में सफल हो सकते हैं।
10 लाइनों में स्वामी विवेकानंद पर निबंध (Essay on Swami Vivekananda in 10 lines)
स्वामी विवेकानंद पर निबंध (Essay on Swami Vivekananda in Hindi) 10 लाइनों में लिखना यहां सीख सकते है, यहां हमने 10 लाइनों में स्वामी विवेकानंद पर निबंध (Essay on Swami Vivekananda in 10 lines) में प्रस्तुत किया है।- स्वामी विवेकानंद का पूरा नाम नरेन्द्रनाथ विश्वनाथ दत्त है, नरेन्द्रनाथ यह उनका जन्म नाम है।
- स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था।
- स्वामी विवेकानंद के जन्म दिवस के दिन को राष्ट्रीय युवा दिन के रूप में मनाया जाता है।
- स्वामी विवेकानंद के पिता का नाम विश्वनाथ दत्त था और वह पेशे से हाई कोर्ट के वकील थे।
- स्वामी विवेकानंद के गुरु का नाम रामकृष्ण परमहंस था।
- स्वामी विवेकानंद ने कॉलेज में इतिहास, दर्शन, साहित्य जैसे विषयो का अध्ययन किया था और बी. ए. के परीक्षा में प्रथम श्रेणी में उतीर्ण हो गये थे।
- स्वामी विवेकानंद भारत में पैदा हुए महापुरुषों में से एक है।
- स्वामी विवेकानंद सच बोलने वाले, अच्छे विद्वान होने के साथ ही एक अच्छे खिलाड़ी भी थे।
- जब स्वामी विवेकानंद शिकागो में भाषण देने गए थे तो उन्होंने सभी को “मेरे अमेरिका के बहनो और भाइयो” कह कर संबोधित किया था, जिस वजह से वहां उपस्थित सभी का दिल उन्होंने जित लिया।
- स्वामी विवेकानंद जी ने 4 जुलाई 1902 को अपने शरीर का त्याग किया था।
हमारे विशेषज्ञ से सहायता प्राप्त करें
FAQs
विवेकानंद ने हमें क्या सिखाया?
विवेकानन्द ने निरंतर आत्म-सुधार और आत्म-विकास पर जोर दिया। उन्होंने हमें सिखाया कि हमें हर दिन बेहतर बनने का प्रयास करना चाहिए। उनका यह कथन, "सारी शक्ति आपके भीतर है; आप कुछ भी और सब कुछ कर सकते हैं," व्यक्तियों को व्यक्तिगत और आध्यात्मिक विकास के लिए निरंतर प्रयास करने के लिए प्रेरित करता है।
स्वामी विवेकानंद से हमें क्या प्रेरणा मिलती है?
स्वामी विवेकानंद का मानना था कि “मनुष्य का संघर्ष जितना कठिन होगा, उसकी जीत भी उतनी बड़ी होगी। जितना बड़ा आपका लक्ष्य होगा, उतना बड़ा आपका संघर्ष”।
स्वामी विवेकानंद का सिद्धांत क्या है?
ज्ञान व्यक्ति के मन में विद्यमान है और वह स्वयं ही सीखता है. मन, वचन और कर्म की शुद्ध आत्मा नियंत्रण है। शिक्षा से व्यक्ति का शारीरिक, मानसिक, नैतिक तथा आध्यात्मिक विकास होता है।
स्वामी विवेकानंद जी का नारा क्या था?
स्वामी विवेकानंद जी का नारा - "उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए।"
स्वामी विवेकानंद क्यों प्रसिद्ध है?
स्वामी विवेकानंद ने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी जो आज भी अपना काम कर रहा है। वे रामकृष्ण परमहंस के सुयोग्य शिष्य थे।
स्वामी विवेकानंद की विशेषता क्या थी?
स्वामी विवेकानंद रोबीले, शालीन और गरिमावान व्यक्तित्व वाले व्यक्ति थे। उदास और पतित हिंदुओं के सहायक थे।
स्वामी विवेकानंद के विचार कैसे थे?
स्वामी जी के अनमोल विचार
संगति आप को ऊंचा उठा भी सकती है और यह आप की ऊंचाई से गिरा भी सकती है। ...
उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाए।
तुम्हें कोई पढ़ा नहीं सकता, कोई आध्यात्मिक नहीं बना सकता। ...
सब कुछ खोने से ज्यादा बुरा उस उम्मीद को खो देना जिसके भरोसे हम सब कुछ वापस पा सकते हैं।
स्वामी विवेकानंद का परिचय कैसे दें?
विवेकानंद का बचपन का नाम नरेंद्रनाथ दत्ता था, वे कलकत्ता के एक संपन्न बंगाली परिवार से थे। वे विश्वनाथ दत्ता और भुवनेश्वरी देवी की आठ संतानों में से एक थे। मकर संक्रांति के अवसर पर उनका जन्म 12 जनवरी 1863 को हुआ था। उनके पिता एक वकील और समाज में एक प्रभावशाली व्यक्तित्व थे।