दहेज़ प्रथा पर हिंदी में निबंध (Essay on Dowry System in Hindi): 100 से 500 शब्दों में कक्षा 7 से 10 के लिए

Shanta Kumar

Updated On: July 11, 2024 01:16 pm IST

भारतीय रीती-रिवाज के अनुसार वधु पक्ष की तरफ से वर को मिलने वाले उपहार को दहेज़ कहा जाता है। इस लेख में दहेज़ प्रथा और उसके कुप्रभाव पर निबंध (Essay on dowry system in Hindi) हिंदी में लिख कर समझाया गया है। 
दहेज़ प्रथा पर निबंध हिंदी में (Essay on Dowry System in Hindi)

दहेज़ प्रथा पर निबंध (Dahej Pratha Par Nibandh): भारत विवधताओं का देश है, यह कई संस्कृति और सभ्यताओं का देश भी है। भारत जहां अपनी विशाल संस्कृति के लिए महान देश कहलाता है, वहीं यहां की कुछ रिति-रिवाज एक बड़ी समस्या भी है। देश के कुछ हिस्सों में बाल विवाह एक बड़ी समस्याएं है, उससे भी बड़ी समस्या पूरे देश के लिए दहेज़ प्रथा (Dahej Pratha in Hindi) है।
दहेज यानी कन्या पक्ष द्वारा वर पक्ष को दिया गया उपहार, जिसमें पैसा, जमीन या अन्य सामान शामिल होता है। दहेज वर्तमान समय में इतनी बड़ी समस्या है कि इसके कारण कई बोटियों को शारीरिक, मानसिक प्रताड़ना के साथ जीवन से भी हाथ धोना पड़ जाता है। ये वर्तमान में एक बहुत बड़ी कुप्रथा का रूप ले लिया है। पुत्री के नवविवाहित जीवन को आसान बनाने की स्वैच्छिक दान प्रथा ने धीरे-धीरे दहेज़ प्रथा (Dahej Pratha par Nibhandh) का रूप धारण कर लिया है। पहले दहेज के रुप में एक पिता का अपनी बेटी को दिया गया उपहार होता था, लेकिन अब दहेज़ में क्या चाहिए ये कन्या पक्ष नहीं बल्कि वर पक्ष के लोग तय करते हैं और इसकी पूरी सूची बनाकर वधु पक्ष को सौंप दी जाती है। इसी कारण वर्तमान में भारत के सामने दहेज़ प्रथा (Dahej Pratha ki Paresani) बड़ी सामाजिक समस्या है।

दहेज़ प्रथा (Dowry System in Hindi) जैसी कुरीति को समाज से हटाने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि इसके बारे में जागरूकता फैलाई जाए। दहेज़ प्रथा (Dahej Pratha) की अधिक समझ के लिए विद्यलयों में छात्रों से दहेज़ प्रथा पर निबंध (Dowry System Essay in Hindi) लिखने के लिए कहा जा सकता है, जिससे छात्र इसकी स्पष्ट समझ प्राप्त कर सकते हैं। साथ ही कई निबंध लेखन प्रतियोगिता में भी दहेज़ प्रथा पर निबंध (Essay on dowry system in Hindi) लिखने के लिए कहा जाता है। दहेज़ प्रथा पर निबंध हिंदी में (Dahej Pratha Par Nibandh) लिखना शुरू करने से पहले, इस बात का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि दहेज़ प्रथा से जुड़ी समस्याओं की जानकारी होनी चाहिए जिससे दहेज़ प्रथा पर निबंध (Dowry System Essay in Hindi) में महत्वपूर्ण बिंदुओं को शामिल किया जा सके। इच्छुक उम्मीदवारों के बेहतर समझ के लिए हमने इस लेख में दहेज़ प्रथा पर निबंध (Essay on dowry system in Hindi) हिंदी में लिख कर समझाया है जिसे देखकर छात्र आसानी से हिंदी में दहेज़ प्रथा पर निबंध 100 से 500 शब्दों में लिख सकते हैं।

अन्य लेख पढ़ें
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम पर निबंध होली पर निबंध
हिंदी में निबंध पर्यावरण दिवस पर निबंध
मदर्स डे पर निबंध मेरा प्रिय खेल पर निबंध
स्वंत्रता दिवस पर निबंध शिक्षक दिवस पर निबंध
मेरे प्रिय मित्र पर निबंध गाय पर निबंध

दहेज़ प्रथा पर निबंध (Essay on dowry system in Hindi) 100 से 500 शब्दों में

दहेज की परिभाषा क्या है? (Definition of Dowry in Hindi)

भारतीय रीती-रिवाज के अनुसार वधु पक्ष के तरफ से वर को मिलने वाले उपहार को दहेज़ कहा जाता है। यूरोप, भारत, अफ्रीका और दुनिया के अन्य भागों में दहेज प्रथा का बहुत लंबा इतिहास रहा है। भारत में दहेज़ प्रथा (Dowry System in India) सदियों से चली आ रही है, किन्तु अब दहेज़ प्रथा (Dahej Pratha) ने शोषण का रूप धारण कर लिया है और अब इस कुप्रथा को समाप्त करने का समय आ गया है।

दहेज़ प्रथा पर निबंध 100 शब्दों में (Dowry System Essay in 100 Words in Hindi)

भारतीय समाज में दहेज़ प्रथा एक चिरकालीन समस्या रही है, जिसने समाज के कई क्षेत्रों में अपना प्रभाव डाला है। दहेज़ प्रथा (Dowry System) के कारण समाज में सामाजिक असमानता और विभाजन बढ़ता जा रहा है। यह न केवल एक व्यक्ति की आर्थिक स्थिति को प्रभावित करता है, बल्कि इससे महिलाओं को उच्चाधिकारिता, समाज में साभार और सम्मान का अधिकार नहीं मिल पा रहा है। यह व्यापक रूप से उत्तर भारत में देखा जा रहा है, जिससे युवा पीढ़ी बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। दहेज़ प्रथा (Dahej Pratha) समाज में समृद्धि और समानता में बाधा है। हमें इसे रोकने के लिए एकजुट होकर काम करना चाहिए ताकि हमारी समाजशास्त्र में एक नया युग आए, जहां समाज में समानता और न्याय की भावना हो, और सभी व्यक्तियों को एक जैसा सम्मान मिले।

दहेज़ प्रथा पर निबंध (Dahej Pratha Par Nibandh) 300 शब्दों में

प्रस्तावना (Introduction)-
दहेज़ प्रथा (Dahej Pratha) एक ऐसी समस्या है जो भारतीय समाज की स्थिति और समृद्धि में बड़ी बाधा डाल रही है। आज की युवा पीढ़ी को इस चुनौती से निपटने के लिए न केवल एक समझदार दृष्टिकोण प्रदान करना चाहिए, बल्कि उन्हें समाज में इसे समाप्त करने के लिए कार्य करने की प्रेरणा भी देनी चाहिए।

दहेज़ प्रथा का आधार-
दहेज़ प्रथा (Dowry System) का मूल आधार सामाजिक और आर्थिक असमानता है। इसमें विभिन्न कारणों से संबंधित रूप से विचार किया जा सकता है, जैसे कि समाज में पुरानी परंपराएँ, लोगों की चाहतें, और अधिकारी वर्ग की सामरिक दबाव। यह समस्या न केवल समाज में सामाजिक विभेद बढ़ा रही है, बल्कि यह भी एक सकारात्मक समाज के बनने में बाधा का काम कर रही है।

दहेज़ प्रथा का प्रभाव-
शिक्षा में असमानता:
दहेज़ प्रथा (Dahej Pratha) के कारण अक्सर लड़कियों की शिक्षा में विघ्न उत्पन्न होता है, जिससे उनके लक्ष्य की प्राप्ति में विघ्न होता है।
सामाजिक असमानता: यह समस्या सामाजिक असमानता के रूप में उत्पन्न हो रही है, जिससे समाज में विभिन्न वर्गों के बीच दूरियाँ बढ़ रही हैं।
आत्मनिर्भरता में कमी: इस प्रथा के कारण कई महिलाएं आत्मनिर्भर नहीं हो पा रही हैं, जिससे समाज को एक सकारात्मक दिशा में विकसित होने में कठिनाई हो रही है।

दहेज़ प्रथा को रोकने के उपाय:
शिक्षा का प्रचार-प्रसार: युवा पीढ़ी को चाहिए कि वे अपने क्षेत्र में शिक्षा के माध्यम से समाज को जागरूक करें और महिलाओं की उच्चतम शिक्षा के लिए आवाज बुलंद करें और उनका समर्थन करें।
सामाजिक जागरूकता कार्यक्रम: सामाजिक जागरूकता कार्यक्रमों में सक्रिय भाग लें और समाज को दहेज़ प्रथा (Dowry System) के खिलाफ जागरूक करें।
साकारात्मक प्रतिबद्धता: सकारात्मक प्रतिबद्धता के साथ समाज में बदलाव लाने के लिए कार्य करें और अधिक से अधिक लोगों को दहेज़ प्रथा से होने वाले हानि से रूबरू कराने का प्रयास करें।

समापन:
आज की नई पीढ़ी को चाहिए कि दहेज़ प्रथा (Dahej Pratha) के समाधान की दिशा में एक सक्रिय भूमिका निभाएं और अपने ज्ञान और समर्थन के माध्यम से समाज को इस समस्या से निपटने के लिए प्रेरित करें। दहेज़ प्रथा (Dowry System) का अंत केवल समाज के सभी वर्गों की सकारात्मक प्रतिबद्धता और सहयोग से ही हो सकता है, और इसमें सभी का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है।

हिंदी में निबंध देखें

हिंंदी दिवस पर निबंध प्रदूषण पर निबंध
वसुधैव कुटुंबकम् पर निबंध दिवाली पर निबंध
रक्षाबंधन पर निबंध गांधी जयंती पर निबंध
बाल दिवस पर हिंदी में निबंध दशहरा पर हिंदी में निबंध

दहेज़ प्रथा पर निबंध 500 शब्दों में (Essay on dowry system in 500 Words in Hindi)

दहेज़ प्रथा पर निबंध हिंदी में (Dahej Pratha Par Nibandh)- प्रस्तावना

भारतीय समाज में विभिन्न आधुनिकता के क्षेत्रों में प्रगति के बावजूद, दहेज़ प्रथा एक ऐसी समस्या है जो आज भी हमारे समाज में महामारी की तरह है। यह आत्मनिर्भरता और समृद्धि की पथ में एक बड़ी रुकावट बन गई है, जिससे समाज में सामाजिक असमानता और विभाजन बढ़ रहा है। इस निबंध में हम दहेज़ प्रथा (Dowry System) के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा करेंगे, जिसमे दहेज़ प्रथा (Dahej Pratha) किस तरह से एक बड़ी चुनौती है और इसका समाधान क्या है।

दहेज समाज में एक सामाजिक बुराई है जिसने महिलाओं के प्रति अकल्पनीय यातनाओं और अपराधों को जन्म दिया है और भारतीय वैवाहिक प्रणाली को प्रदूषित किया है। दहेज वह भुगतान है जो दुल्हन के विवाह के समय उसके ससुराल वालों को नकद या वस्तु के रूप में दिया जाता है।

आज, न केवल दहेज प्रथा को खत्म करने के लिए, बल्कि कई योजनाएं लाकर बालिकाओं की स्थिति को ऊपर उठाने के लिए भी सरकार कई कानून (दहेज निषेध अधिनियम 1961) और सुधार लेकर आई है। हालाँकि, इस समस्या की सामाजिक प्रकृति के कारण, कानून हमारे समाज में वांछित परिणाम देने में विफल रहा है।

इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए लोगों की सामाजिक और नैतिक चेतना का आह्वान करना, महिलाओं के लिए शिक्षा और आर्थिक स्वतंत्रता प्रदान करना और दहेज प्रथा के खिलाफ कानून को प्रभावी ढंग से लागू करना मदद कर सकता है।

दहेज़ प्रथा का स्वरूप:

दहेज़ प्रथा (Dowry System) एक सामाजिक समस्या है जो समृद्धि, शिक्षा, और क्षेत्रीय विकास के बावजूद भी अब तक हमारे समाज को निर्मूल्य साबित कर रही है। इस प्रथा में विशेषत: स्त्रियाँ प्रभावित हो रही हैं, जो समाज के सार्वजनिक स्थान में समर्थन और सम्मान का हकदार होने के बावजूद भी अपनी जीवन में दहेज़ के चक्कर में फंसी हुई हैं।

दहेज़ प्रथा के कारण:

इस प्रथा के पीछे कई कारण हैं, जिनमें सामाजिक दबाव, अर्थिक असमानता, और स्थानीय सांस्कृतिक मान्यता शामिल हैं। कई बार लोग अपनी आर्थिक स्थिति को बनाए रखने और समाज में श्रेष्ठ रहने के लिए दहेज देते हैं। इसमें लड़की के परिवार से आर्थिक सहायता की उम्मीद भी शामिल हो सकती है।

दहेज़ प्रथा के प्रभाव:

दहेज़ प्रथा (Dahej Pratha) से संबंधित कई प्रभाव हैं, जिनमें समाज में सामाजिक असमानता की बढ़ती गंभीरता, स्त्रियों की अधिकांश शिक्षा में कमी, और परिवारों के बीच बिगड़ते संबंध शामिल हैं।

महिलाओं के करियर को प्रभावित करना: दहेज प्रथा का बड़ा संदर्भ कार्यबल में महिलाओं की कम उपस्थिति और इसके परिणामस्वरूप उनकी वित्तीय स्वतंत्रता की कमी है।नियमित मध्यम और उच्च वर्ग की पृष्ठभूमि वाले लोग अपनी बेटियों को स्कूल तो भेजते हैं, लेकिन उनके करियर विकल्पों पर जोर नहीं देते।

लैंगिक भेदभाव : दहेज प्रथा के कारण कई बार यह देखा गया है कि महिलाओं को एक दायित्व के रूप में देखा जाता है और उन्हें अक्सर अधीनता हेतु विवश किया जाता है तथा उन्हें शिक्षा या अन्य सुविधाओं के संबंध में दोयम दर्जे की सुविधाएँ दी जाती हैं।

कई महिलाएँ अविवाहित रह जाती हैं: देश में अनगिनत लड़कियाँ, शिक्षित और पेशेवर रूप से सक्षम होने के बावजूद, अविवाहित रह जाती हैं क्योंकि उनके माता-पिता विवाह पूर्व दहेज की मांग पूरी नहीं कर पाते हैं।

महिलाओं का उद्देश्य: समकालीन दहेज दुल्हन के परिवार द्वारा शक्तिशाली संबंधों और पैसा बनाने के अवसरों को जोड़ने के लिए किए गए निवेश की तरह है। यह महिलाओं को केवल व्यापार की वस्तु के रूप में प्रस्तुत करता है।

महिलाओं के खिलाफ अपराध: कुछ मामलों में, दहेज प्रथा महिलाओं के खिलाफ अपराध का कारण बनती है, जिसमें भावनात्मक शोषण और मार-पिट से लेकर मृत्यु तक शामिल है।

दहेज़ प्रथा को रोकने के उपाय:

दहेज़ प्रथा (Dahej Pratha) को रोकने के लिए समाज को एकजुट होकर कठिन कदम उठाने की आवश्यकता है। सबसे पहले, इसके खिलाफ जागरूकता बढ़ाने के लिए शिक्षा के माध्यम से समाज को समर्थ बनाया जा सकता है। सरकार को भी दहेज़ प्रथा (Dowry System) के खिलाफ कठोर कानूनी कदम उठाने चाहिए, जिससे इस प्रथा को बढ़ते हुए समाज से उखाड़ा जा सके।

सामाजिक समस्या के राजनीतिक समाधान की सीमाओं को पहचानना: लोगों के पूरे दिल से सहयोग के बिना कोई भी कानून लागू नहीं किया जा सकता है।

लड़कियों को शिक्षित करना: शिक्षा और स्वतंत्रता एक शक्तिशाली और मूल्यवान उपहार है जो माता-पिता अपनी बेटी को दे सकते हैं।
  • इससे बदले में उसे आर्थिक रूप से मजबूत होने और परिवार में योगदान देने वाला सदस्य बनने में मदद मिलेगी, जिससे उसे परिवार में सम्मान और सही दर्जा मिलेगा।
  • इसलिए बेटियों को ठोस शिक्षा प्रदान करना और उसे अपनी पसंद का करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित करना सबसे अच्छा दहेज है जो कोई भी माता-पिता अपनी बेटी को दे सकते हैं।
दहेज को सामाजिक कलंक बनाना: दहेज स्वीकार करना एक सामाजिक कलंक बना दिया जाना चाहिए, और सभी पीढ़ियों को इस पर ध्यान देना चाहिए। इसके लिए दहेज प्रथा के दुष्परिणामों के प्रति सामाजिक चेतना जगाने की जरूरत है।
  • केंद्र और राज्य सरकारों को लोक अदालतों, रेडियो प्रसारण, टेलीविजन और समाचार पत्रों के माध्यम से लोगों के बीच 'निरंतर' आधार पर 'दहेज विरोधी साक्षरता' बढ़ाने के लिए प्रभावी कदम उठाने चाहिए।
  • दहेज प्रथा के खतरे से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए युवा ही आशा की एकमात्र किरण हैं। उनके दिमाग को व्यापक बनाने और उनके दृष्टिकोण को व्यापक बनाने के लिए उन्हें नैतिक मूल्य आधारित शिक्षा दी जानी चाहिए।
हितधारक दृष्टिकोण: दहेज एक अकेली समस्या नहीं है, इसलिए समाज को लैंगिक समानता लाने के लिए हर कदम उठाना चाहिए।
  • बच्चों की देखभाल और सुरक्षित सार्वजनिक परिवहन का विस्तार करने, भर्ती में भेदभाव को कम करने और कार्यस्थल पर सकारात्मक माहौल बनाने की आवश्यकता है।
  • घर पर, पुरुषों को घरेलू काम और देखभाल की ज़िम्मेदारियाँ महिलाओं के साथ साझा करनी चाहिए।

दहेज प्रथा का निष्कर्ष क्या है?

दहेज की प्रथा न केवल अवैध है बल्कि अनैतिक भी है। इसलिए, दहेज प्रथा की बुराइयों के प्रति समाज की अंतरात्मा को पूरी तरह से जागृत करने की आवश्यकता है ताकि दहेज की मांग ही इसकी मांग करने वालों के लिए समाज में 'सम्मान की हानि' का कारण बने।

समापन:

इस निबंध के माध्यम से हमने देखा कि दहेज़ प्रथा (Dowry System) एक गंभीर समस्या है जो हमारे समाज को अपनी समृद्धि के पथ से बाधित कर रही है। इसे रोकने के लिए समाज को एक साथ आना होगा, शिक्षा को बढ़ावा देना होगा और सरकार को दृढ़ता से कानूनी कदम उठाने की आवश्यकता है। इस प्रकार, हम समाज में समृद्धि और समानता की दिशा में एक नया युग शुरू कर सकते हैं, जहां हर व्यक्ति को समर्थन, सम्मान और समान अवसर मिले।

दहेज़ प्रथा पर निबंध 10 लाइन (Essay on Dowry in 10 Lines in Hindi)

  • दहेज प्रथा एक सामाजिक समस्या है जो विवाह के समय विभिन्न आर्थिक और सामाजिक चीज़ों की मांग को दर्शाती है।
  • इस प्रथा में, विवाह के लिए विशेषकर लड़की के परिवार को अत्यधिक धन की मांग की जाती है।
  • यह एक अत्यंत अवार्धनीय परंपरागत चीज़ है, जिससे महसूस होता है कि बेटी को घर छोड़ने पर परिवार का अधिकार बनता है।
  • दहेज प्रथा ने समाज में स्त्रीओं को उनके अधिकारों से वंचित कर दिया है और उन्हें अधिकारहीन बनाया है।
  • इस प्रथा के चलते कई स्थानों पर लड़कियों को बचपन से ही आत्मविश्वास कम होता है और उनमे आत्मनिर्भरता की कमी होती है।
  • यह एक आर्थिक बोझ बनता है जो घरेलू संरचनाओं को भी प्रभावित करता है और समाज में आर्थिक असमानता बढ़ाता है।
  • दहेज प्रथा ने लड़कियों के लिए शादी को एक अवश्यकता बना दिया है, जिससे उनका व्यक्तिगत और पेशेवर विकास रुका है।
  • इस प्रथा का सीधा असर व्यक्ति के अधिकारों और स्वतंत्रता पर होता है, और यह समाज में बिगड़ते संबंधों का कारण बनता है।
  • दहेज प्रथा से निपटने के लिए समाज में जागरूकता, शिक्षा, और समानता के प्रति विचार को प्रोत्साहित करना आवश्यक है।
  • समाज को दहेज प्रथा के खिलाफ सामूहिक रूप से आवाज उठाना चाहिए ताकि इस अवस्था को समाप्त करने की दिशा में प्रयास किया जा सके।
हिंदी में निबंध लेखन या अन्य संबंधित एजुकेशन न्यूज़ हिंदी में पढ़ने के लिए CollegeDekho के साथ बने रहें!

Are you feeling lost and unsure about what career path to take after completing 12th standard?

Say goodbye to confusion and hello to a bright future!

news_cta

FAQs

दहेज प्रथा के खिलाफ सामाजिक संगठनों का क्या योगदान है?

सामाजिक संगठनें दहेज प्रथा के खिलाफ जागरूकता फैलाने, समाज में समानता को बढ़ाने, और सकारात्मक परिवर्तन के लिए काम करती हैं।

दहेज प्रथा से जुड़े घटनाएं क्या हैं?

दहेज प्रथा से जुड़े समाचार और घटनाएं समय-समय पर मीडिया में आती रहती हैं, जो इसे बदलने और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए जागरूक कर सकती हैं। 

दहेज प्रथा को रोकने के लिए कौन-कौन से कदम उठाए जा सकते हैं?

दहेज प्रथा को रोकने के लिए सामाजिक जागरूकता, शिक्षा में समानता, सकारात्मक कानून, और समाज में समानता के प्रति विशेष ध्यान देना चाहिए।

दहेज प्रथा क्या है?

दहेज प्रथा एक सामाजिक अनैतिकता है जिसमें विवाह के समय लड़की के परिवार से अधिक धन, सामाजिक स्थान, और आर्थिक चीज़ों की मांग की जाती है।

दहेज प्रथा पर निबंध कैसे लिखें?

इस लेख में दहेज़ प्रथा पर विस्तार से निबंध लिखकर बताया गया है। इच्छुक छात्र यहां से दहेज़ प्रथा पर निबंध का नमूना देखकर खुद के लिए निबंध तैयार कर सकते हैं। 

हम दहेज प्रथा को कैसे रोक सकते हैं?

दहेज प्रथा को रोकने के लिए समाज, सरकार, और व्यक्तिगत स्तर पर कई कदम उठाए जा सकते हैं। यहाँ कुछ सुझाव दिए जा रहे हैं जो इस समस्या के समाधान में मदद कर सकते हैं:

  • शिक्षा का प्रचार-प्रसार
  • सामाजिक जागरूकता कार्यक्रम
  • कड़ी से कड़ी कानूनी कदम
  • समाज में समानता का प्रचार-प्रसार
  • धार्मिक और सांस्कृतिक जागरूकता

दहेज प्रथा का मुख्य कारण क्या है?

दहेज प्रथा का मुख्य कारण समाज में सामाजिक और आर्थिक असमानता है। इस प्रथा के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जो विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक, और आर्थिक प्रतिष्ठाओं से संबंधित होते हैं। 

View More
/articles/essay-on-dowry-system-in-hindi/

Related Questions

Eligibility in msc mathematics at Uttaranchal University

-Nini PynkhlongUpdated on July 22, 2024 04:42 PM
  • 1 Answer
Ashish Aditya, Student / Alumni

Dear student,

Uttaranchal University does offer MSc course in Mathematics specilisation. The eligibility criteria for MSc in Mathematics for Uttaranchal University admission is to score 50% or more marks in graduation in a relevant stream. Uttaranchal University fees for MSc is Rs 88,300 for the complete course. MSc is a two year course which is offered in regular mode of study at this university. Including mathematics, MSc at this university is offered in 15 specializations. 

READ MORE...

Have any scholarship because I don't have more money to pay at Sanjay Ghodawat University

-gayatri pendharkarUpdated on July 22, 2024 04:53 PM
  • 1 Answer
Ashish Aditya, Student / Alumni

Dear student,

Sanjay Ghodawat University does offer scholarships for meritious students. So if you have a good score in class 12, then you can get a rebate in course fees for the BTech course under the merit scholarship offered by the university. If you have scored 90% or more then you need to pay only Rs 52,500 for the complete course. if you scored 80 to 89%, then you need to pay Rs 77,500, and for a score between 70 to 79%, a fee of Rs 1,02,500 is applicable. For a score below 70%, you will need to pay Rs …

READ MORE...

Which date registration?

-JAKKULA REVANTHUpdated on July 22, 2024 04:38 PM
  • 1 Answer
Rupsa, Student / Alumni

Dear Students,

TS POLYCET registration dates for the next year have not been announced yet. But going by the past trends, it is expected that the TS POLYCET registration process will begin in February 2025. Usually, the conducting body SBTET gives 2 months time to complete the application process. So you will have ample time to go through the application steps and complete the procedure. We suggest that you take a look at the TS POLYCET eligibility criteria before applying online. If you are interested in taking the Telangana State Polytechnic Common Entrance Test next year, you will have to …

READ MORE...

क्या आपके कोई सवाल हैं? हमसे पूछें.

  • 24-48 घंटों के बीच सामान्य प्रतिक्रिया

  • व्यक्तिगत प्रतिक्रिया प्राप्त करें

  • बिना किसी मूल्य के

  • समुदाय तक पहुंचे

नवीनतम आर्टिकल्स

ट्रेंडिंग न्यूज़

Subscribe to CollegeDekho News

By proceeding ahead you expressly agree to the CollegeDekho terms of use and privacy policy

शामिल हों और विशेष शिक्षा अपडेट प्राप्त करें !

Top
Planning to take admission in 2024? Connect with our college expert NOW!