Mothers Day Essay in Hindi:
मदर्स डे हर इंसान के जीवन का एक महत्वपूर्ण दिन होता है। कहते हैं, मां अपने बच्चों की पहली शिक्षक होती है। मां शिक्षक से लेकर दोस्त तक की भूमिका निभाती है। जन्म देने से लेकर पालने तक की सारी जिम्मेदारी एक मां ही निभाती है। मदर्स डे के मौके पर स्कूल कॉलेज और शैक्षणिक संस्थानों में मातृ दिवस पर निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। ऐसे में यदि आपको भी मदर्स डे पर निबंध लिखना हो तो यह लेख आपको मदद करेगा, तो मदर्स डे पर निबंध लिखने के तरीकों के बारे में विशेष जानकारी के लिए इस लेख को पूरा पढ़ें।
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मदर्स डे पर निबंध (Mothers Day Essay in Hindi)
कहते हैं, एक मां अपने बच्चों की पहली शिक्षक होती है। मां अपने बच्चों को नौ महीने तक अपने गर्भ में पालती है और फिर जन्म देने को बाद उसका पालन पोषण करती है। दुनिया में मां का प्यार निस्वार्थ माना गया है। मां हमेशा अपने बच्चों का मार्गदर्शन करती है। पूरी दुनिया भर में मई महीने के दूसरे रविवार के दिन मदर्स डे मनाया जाता है। इस यानी साल 2023 में मदर्स डे 14 मई को मनाया जा रहा है। मदर्स डे मनाने की शुरुआत औपचारिक तौर पर 1914 में हुई थी। इससे पहले पहली बार वेस्ट वर्जीनिया में साल 1908 में एना जार्विस द्वारा मदर्स डे मनाया गया था। मदर्स डे पर दुनिया के विभिन्न हिस्सों में मां के प्रति सम्मान, सत्कार और प्यार के लिए मनाया जाता है।हिंदी दिवस पर निबंध |
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कैसे मनाया जाता है मदर्स डे? (How is Mother's Day celebrated?)
हर बच्चा मदर्स डे को एक विशेष तरीके से मनाता है। कई अपनी मां के लिए विशेष गिफ्ट लेता है तो कई मां के साथ केक काट मदर्स डे सेलिब्रेट करते हैं। कुछ लोग अपने घर पर ही मदर्स डे सेलिब्रेट करते हैं, तो कुछ लोल मदर्स डे वाले दिन अपनी मां को उनके पसंदीदा जगह पर घुमाने ले जाते हैं। हर शख्स का डदर्स डे मनाने का एक अलग तरीका होता है। कुछ लोग अपनी मां के साथ मंदिर या धार्मिक स्थलों पर जाकर पूजा-पाठ भी करते हैं।दशहरा पर निबंध |
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मदर्स डे का महत्त्व (Importance of Mother's Day)
मां अपने बच्चों के जन्म से लेकर आखिरी सांस तक उनकी देखभाल करती है। हम मां के योगदानों को कभी गिन नहीं सकते हैं। दुनिया के तमाम बड़े कवी और दार्शनिक ने मां को अतुलनीय बताया है। यूरोपीय क्रान्तिकारी रोजा लक्जमबर्ग ने मां के संदर्भ में कहा था "जिस दिन औरतों के श्रम का हिसाब होगा, इतिहास की सबसे बड़ी धोखाधड़ी पकड़ी जाएगी। हजारों वर्षों का वह अवैतनिक श्रम, जिसका न कोई क्रेडिट मिला, न मूल्य।" भारत के महान कवी प्रेमचंद से लेकर राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर तक ने मां के योगदान पर कई उपन्यास और लेख लिखे हैं। मां दिन भर अपने सभी कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को पूरी श्रद्धा से निभाती है। मां के हिस्से में कभी आराम नहीं लिखा गया है। मां को कभी न थकने वाला इंसान के रूप में भी परिभाषित किया गया है।ये भी पढ़ें: - शिक्षक दिवस पर भाषण
आज जब संयुक्त परिवार का कॉन्सेप्ट लगभग खत्म होते जा रहा है, हमें इसपर ध्यान देने की जरूरत है। भागदौड़ भरी जिंदगी में हम हमेशा संघर्ष कर रहे हैं, और अपने संघर्ष में इतने मशगूल हो जाते हैं कि हमें जन्म देने वाली मां को ही भूल जाते हैं। हमें अपनी मां के साथ हमेशा सम्मान से पेश आना चाहिए। यह एक मां ही है जो अपने बच्चों के चरित्र और व्यक्तित्व को आकार देती है। मां अपने बच्चों की वृद्धि और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। मां अपने बच्चों को गलत कामों से रोकती है और हमेशा अच्छे कामों की सीख देती है।
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