हिंदी दिवस पर कविता (Poem on Hindi Diwas in Hindi):
हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस (Hindi Diwas) मनाया जाता है। इसी दिन भारत की संविधान सभा ने देवनागरी लिपि में लिखी गई हिंदी भाषा को भारत गणराज्य की आधिकारिक भाषा (Official Language of the Republic of India) घोषित किया था। हालांकि, हिंदी को 26 जनवरी 1950 को देश के संविधान द्वारा आधिकारिक भाषा के रूप में इस्तेमाल करने के विचार को मंजूरी दी गई थी। भारत में लगभग 600 भाषाएं हैं। भारतीय भाषाओं की करीब 19,500 बोलियां और उपभाषाएं हैं। भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची के तहत 22 भाषाओं को सूचीबद्ध किया गया है। इसमें कश्मीरी, सिन्धी, पंजाबी, हिन्दी, बंगाली, आसामी, उडिया, गुजराती, मराठी, कन्नड़, तेलगु, तमिल, मलयालम, उर्दू, संस्कृत, नेपाली, मढिपूरी, कोंकणी, बोडो, डोंगरी, मैथिली, संथाली है।
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इस दिन को मनाने का उद्देश्य हिंदी भाषा के महत्व और प्रचार-प्रसार के लिए जागरूकता पैदा करना है। हिंदी दिवस के अवसर पर, कई स्कूलों में स्कूल एसेंबली और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इन कार्यक्रमों में, छात्र अक्सर हिंदी भाषा और संस्कृति से संबंधित कविताओं को सुनाते हैं। यहां
हिंदी दिवस पर कवितायें (Poems on Hindi Diwas)
दी गई हैं जो स्कूली छात्रों द्वारा इन कार्यक्रमों में सुनायी जा सकती हैं।
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हिंदी भाषा का इतिहास (History of Hindi Language)
हिंदी पूरे विश्व में बोली जाने वाली भाषाओं में चौथे नंबर पर है। हिंदी भाषा का इतिहास 12वीं शताब्दी का है। हिंदी भारत के आधे से ज्यादा भू-भाग में बोली जाने बाली भाषा है। भारत में करीब 78% आबादी हिंदी भाषा समझती और बोलती है। हिंदी भाषा 60 करोड़ से भी अधिक लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषा है। भारत के अलावा पाकिस्तान, नेपाल, मॉरीशस, फिजी, गुयाना और सूरीनाम में भी हिंदी भाषा बोली जाती है। हिंदी भाषा के सम्मान में प्रत्येक वर्ष 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस और 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है।हिंदी साहित्य का पितामह (Father of Hindi Literature)
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र को आधुनिक हिंदी साहित्य का पितामह कहा जाता है। वैसे हिंदी भाषा का इतिहास 12वीं शताब्दी का है। पहली हिंदी कविता प्रसिद्ध कवि "अमीर खुसरो" द्वारा लिखी गई थी, जिसे फारसी भाषा से ली गई थी। हिंदी में लिखने से साथ कवियों ने हिंदी भाषा के विकास के लिए हिंदी पर भी कई कविताएं और कहानियां लिखी हैं। हिंदी में कई कालजयी रचनाएं भी लिखी गई हैं। हिंदी भाषा के प्रमुख कवि और कवियत्रियों में अब्दुर्रहीम ख़ानख़ाना, अमीर ख़ुसरो, अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध', संत कबीर, काका हाथरसी, कुंवर बेचैन, गोपालदास नीरज, जयशंकर प्रसाद, तुलसीदास, नागार्जुन, भारतेन्दु हरिश्चन्द्र, महादेवी वर्मा, मैथिलीशरण गुप्त, माखनलाल चतुर्वेदी, मीरा बाई, रामधारी सिंह 'दिनकर', सुभद्रा कुमारी चौहान, सुमित्रानंदन पंत, सूरदास, सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला', सोहन लाल द्विवेदी, हरिवंशराय बच्चन, अटल बिहारी वाजपेयी शामिल है। इनकी रचनाओं ने लोगों के दिलों पर गहरी छाप छोड़ी है।ये भी पढ़ें: विज्ञान के चमत्कार पर निबंध
हिंदी दिवस पर कविता (Poem on Hindi Diwas)
हिंदी दिवस पर तमाम कवियों ने कई कविताएं लिखी हैं इनमें से कुछ आप नीचे पढ़ सकते हैं। इसके हिंदी दिवस के दिन आप अपने स्कूल कॉलेजों या अन्य समारोह में भी पढ़ सकते हैं।निज भाषा उन्नति
निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल
बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।
अंग्रेजी पढ़ि के जदपि, सब गुन होत प्रवीन
पै निज भाषा-ज्ञान बिन, रहत हीन के हीन।
उन्नति पूरी है तबहिं जब घर उन्नति होय
निज शरीर उन्नति किये, रहत मूढ़ सब कोय।
-भारतेंदु हरिश्चंद्र
मातृभाषा
जैसे चींटियां लौटती हैं
बिलों में
कठफोड़वा लौटता है
काठ के पास
वायुयान लौटते हैं एक के बाद एक
लाल आसमान में डैने पसारे हुए
हवाई-अड्डे की ओर
ओ मेरी भाषा
मैं लौटता हूं तुम में
जब चुप रहते-रहते
अकड़ जाती है मेरी जीभ
दुखने लगती है
मेरी आत्मा
-केदारनाथ सिंह
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आराधन अपनी भाषा का
करते हैं तन-मन से वंदन, जन-गण-मन की अभिलाषा का
अभिनंदन अपनी संस्कृति का, आराधन अपनी भाषा का।
यह अपनी शक्ति सर्जना के माथे की है चंदन रोली
माँ के आँचल की छाया में हमने जो सीखी है बोली
यह अपनी बँधी हुई अंजुरी ये अपने गंधित शब्द सुमन
यह पूजन अपनी संस्कृति का यह अर्चन अपनी भाषा का।
- सोम ठाकुर
हिन्दी भाषा है वही
पड़ने लगती है पियूष की शिर पर धारा
हो जाता है रुचिर ज्योति मय लोचन-तारा
बर बिनोद की लहर हृदय में है लहराती
कुछ बिजली सी दौड़ सब नसों में है जाती
आते ही मुख पर अति सुखद जिसका पावन नाम ही
इक्कीस कोटि-जन-पूजिता हिन्दी भाषा है वही
जिसने जग में जन्म दिया औ पोसा, पाला
जिसने यक यक लहू बूँद में जीवन डाला
उस माता के शुचि मुख से जो भाषा सीखी
उसके उर से लग जिसकी मधुराई चीखी
जिसके तुतला कर कथन से सुधाधार घर में बही
क्या उस भाषा का मोह कुछ हम लोगों को है नहीं
- अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
हिंदी है भारत की बोली
दो वर्तमान का सत्य सरल,
सुंदर भविष्य के सपने दो
हिंदी है भारत की बोली
तो अपने आप पनपने दो
यह दुखड़ों का जंजाल नहीं,
लाखों मुखड़ों की भाषा है
थी अमर शहीदों की आशा,
अब जिंदों की अभिलाषा है
मेवा है इसकी सेवा में,
नयनों को कभी न झंपने दो
हिंदी है भारत की बोली
तो अपने आप पनपने दो
- गोपाल सिंह नेपाली
हिंदी जन की बोली है
उच्चवर्ग की प्रिय अंग्रेजी
हिंदी जन की बोली है
वर्ग भेद को खत्म करेगी
हिंदी वह हमजोली है,
सागर में मिलती धाराएँ
हिंदी सबकी संगम है
शब्द, नाद, लिपि से भी आगे
एक भरोसा अनुपम है
गंगा कावेरी की धारा
साथ मिलाती हिंदी है
- गिरिजा कुमार माथुर
बहार है हिंदी
माँ भारती के भाल का शृंगार है हिंदी
हिंदोस्ताँ के बाग़ की बहार है हिंदी
घुट्टी के साथ घोल के माँ ने पिलाई थी
स्वर फूट पड़ रहा, वही मल्हार है हिंदी
तुलसी, कबीर, सूर औ' रसखान के लिए
ब्रह्मा के कमंडल से बही धार है हिंदी
-डॉ जगदीश व्योम
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